प्रस्तुत रचना मेरे मन के भावों को अभिव्यक्त करती है। इसे अन्यथा न लेवें।
दादी नानी दूर हुई
बच्चों से कहानी दूर हुई
न होती आदर्शों की बातें
न सुनते अब अच्छी बातें
नेता अभिनेता दो चेहरे
अब बच्चों को दिखते हैं
किन आदर्शों की बात करें
जो कहीं नहीं अब दिखते हैं
जो घटता सबके समक्ष
अनुसरण उसी का होता है
बदल गई है सोच सभी की
बदल रहे संस्कार तभी
आदर्शों की बातें करना
बीते कल की बात हुई
भरा हुआ इतिहास हमारा
कितने अनुपम आदर्शों से
वर्तमान में कौन प्रभावित
होता है इन आदर्शों से
बातें करते सब बडी़ बड़ी
सबको अपने सुख की पडी
अब कोई कहां उन आदर्शों पर
कभी खरा उतरता है ?
अभिलाषा चौहान
स्वरचित
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