Saturday, October 6, 2018

इंतजार

प्रिय का करती इंतजार
हृदय हो रहा बेकरार
इक पल को नहीं करार
कब पूरा होगा इंतजार।

धीरे-धीरे गई रात गुजर
दिन के बीत रहे प्रहर
प्रियतम की नहीं कोई खबर
कैसे करूं उनका इंतजार !

घर-बाहर कहीं चैन न आवे
राह तकूं मेरा जी घबरावे
अब तो आओ प्रियतम प्यारे
अब और न होगा इंतजार।

तभी ईश्वर ने सुनी पुकार
प्रियतम छवि प्रत्यक्ष साकार
प्रेम मिलन ने लिया आकार
अब खत्म हुआ था इंतजार।

अभिलाषा चौहान
स्वरचित

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