Monday, April 22, 2019

कुछ गीत बनाए हैं मैंने

कल्पना के पंख लगाकर,
कुछ ख्बाव सजाए मैंने।
अनुभूति को आधार बनाकर,
कुछ गीत बनाए हैं मैंने।

जीवन के कोरे पन्नों पर,
कुछ भाव उकेरे हैं मैंने।
बुद्धि को कलम बनाकर
कविताएँ रच दी हैं मैंने ।

भावों के मोती चुन-चुनकर,
दिल को दवात बनाया मैंने।
शब्दों की माला में गूंथकर,
इक संसार सजाया मैंने।

भाव आत्मा, रस है प्राण,
शब्द शरीर, अर्थ है पहचान।
भावों के अनुपम मोती से,
उत्तम काव्य का हो निर्माण।
अभिलाषा चौहान
स्वरचित