Friday, December 20, 2019

हार्ट अटैक

पड़ोस के घर में अफरातफरी का माहौल देख रमेश जी वास्तविकता जानने के लिए
जा पहुंचे।पता चला कि शर्मा जी को हार्ट अटैक आया था और एंबुलेंस से उन्हें अस्पताल ले जाया जा रहा था।पड़ोसी धर्म
निभाते हुए रमेश जी भी साथ चले गए।
डाक्टर ने चेकअप के बाद स्पष्ट कर दिया कि माइनर हार्ट अटैक था,लेकिन संकट टला
नहीं है,आगे क्या करना ये संपूर्ण जांच के बाद ही पता चलेगा।
शर्माजी होश में आ चुके थे ।रमेशजी को देखते ही बोले-बरबाद हो गया यार,तेरी बात
नहीं मानी और आज यहां पहुंच गया।
क्यों क्या हुआ,कौनसी बात नहीं मानी तूने
यार!
तूने पेपर नहीं पढ़ा आज का ,अरे!वो कापरेटिव बैंक जिसमें तूने पैसा जमा करने के लिए मना किया था।उसपर ताला लग गया यार!धोखा हो गया मेरे साथ।सारी जमा-पूंजी डूब गई।
क्या?? मुझे नहीं पता।कब हुआ ये ?
शर्माजी पछता रहे थे। बार-बार एक ही बात
दोहरा रहे थे कि तूने सच कहा था कि इनमें
इन्वेस्ट मत कर ।आजकल बहुत फ्राड हो रहा है। इसमें पैसा लगाना,आ बैल मुझे मार
वाली कहावत चरितार्थ करना है।मैंने नहीं सुना।
रमेशजी चुप थे।क्या कहते !बस इतना ही बोले तू अपनी तबियत देख।ये सब मत सोच।अब मैं जाता हूं, शाम को आऊंगा।
लौटते हुए वे यही सोच रहे थे कि लालच
और गलत लोगों के फेर में पड़कर आदमी
स्वयं का कितना नुक्सान कर लेता है जबकि
आए दिन ऐसी घटनाएं सामने आती है।पर जल्दी समय में ज्यादा लाभ के फेर में आ बैल मुझे मार को आमंत्रित करना तो मूर्खता
है।

अभिलाषा चौहान


6 comments:

  1. सच आज के समय में बड़ी शातिर तरीके से ऐसे-ऐसे काम हो रहे हैं कि इसमें सीधे-सादे लोग ही नहीं पढ़े-लिखे लोग भी फंस जाते हैं
    अच्छी चिंतनशील प्रस्तुति

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  2. समय पे न सोचना इसका कारण है औए ऐसा होने के बाद या दोषारोपण होता है या तबियत का नुक्सान ...

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  3. बहुत सुंदर और सार्थक सृजन

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  4. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(२२-१२ -२०१९ ) को "मेहमान कुछ दिन का ये साल है"(चर्चा अंक-३५५७) पर भी होगी।
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    **
    अनीता सैनी

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  5. आधी छोड़ सारी को धावे ! आधी गहे, न सारी पावे !

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  6. और ज्यादा -और ज्यादा के लालच में ही तो मारे जाते हैं ,सुंदर सृजन सखी

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