Sunday, July 14, 2019

वो दिन

भुलाए से भी न भूलेंगे वो दिन कभी,
साथ हमने बिताए थे जो दिन कभी।
कैसी टूटी थी हम पर विपदा बड़ी,
सामने मौत आकर हुई थी खड़ी।
तुमको देखा हमने तड़पते हुए,
हम खड़े थे हाथ मलते हुए ।
आँखों से लगी आंसुओं की झड़ी,
थी संकट में जीवन की घड़ी ।
सुविधाओं ने हमको धोखा दिया ,
दुआओं ने कुछ असर न किया।
भगवान पत्थर के बन गए,
हम खड़े हाथ मलते रह गए।
भुलाए नहीं जा सकते वो दिन,
याद में बीतता है हर एक दिन।
आँखों में बसे रहते हैं वो दिन,
जीना मुश्किल हो गया तुम बिन।

अभिलाषा चौहान
स्वरचित