Friday, December 13, 2019

अनंत यात्रा

रामनाथ के परिवार में आज खुशी का माहौल था।होता भी क्यों न,आखिर उनके
दोनों बेटों का विवाह तय हुआ था। विवाह भी दो सगी बहनों से।एक नया रिश्ता बनने जा रहा था, खुशियों ने उनके घर को महका
दिया था। रामनाथ का बड़ा बेटा बैक में और
छोटा बेटा होटल में मैनेजर थे ।संयोग से होने
वाली बहुएं भी सरकारी स्कूल में शिक्षिका थीं। विवाह की तिथि छह माह बाद तय हुई थी।घर में नित नयी योजनाएं बन रहीं थीं।
कैसे करना है ,क्या करना है,क्या थीम रखी
जाएगी विवाह स्थल की।कौन कैसे कपड़े पहनेगा,कार्ड कैसा होगा?
सभी रिश्तेदारों को बढ़िया रिटर्न गिफ्ट दिए जाएंगे।यही योजनाएं बनते-बनते और पूरा
करते पांच माह निकल गए।सबसे पहला मेहमान उनके घर आने वाला था ,उनकी बड़ी बहन और बच्चे।उनकी ट्रेन सुबह चार
बजे आने वाली थी , दोनों भाई बहन को
लाने स्टेशन जाने के निकल चुके थे ,लेकिन
अनहोनी का किसी को भी आभास नहीं था।
घर से स्टेशन पहुंचने में बीस मिनट लगते थे।
लेकिन रात में ट्रेफिक कम होने की वजह से
समय कम लगता था, दोनों भाई खुशी-खुशी
आराम से गाड़ी चलाते हुए जा रहे थे।सामने
रेड लाइट थी ।सिग्नल हरा होने पर उन्होंने
अपनी गाड़ी आगे बढ़ाई,पर ....उनकी वह यात्रा कभी पूरी नहीं हो सकी,रोंग साईड से
एक ट्रोला आया और उनकी गाड़ी को टक्कर मार के पलट गया।कार के ऊपर ट्रोले में लदी नमक की बोरियां गिर पड़ी और कार
पूरी तरह से उन बोरियों में दब गई। ट्रोले का
ड्राइवर भाग गया था ,उसे एक पल के लिए भी यह ख्याल न आया कि कार में कोई जिंदा हो सकता है।काफी देर बाद किसी भले-मानुष ने पुलिस को फोन किया, पुलिस आई तो उसे भी नहीं पता चला कि इन बोरियों के नीचे एक कार दबी है,उधर बहन
लगातार भाईयों को फोन कर रही थी ,रिंग जा रही थी ,पर कोई नहीं उठा रहा था, आखिर उसने पिता को फोन किया, रामनाथ
अचंभित हो उठे आखिर कहां गए वे दोनों?
उन्होंने बेटी को कहा कि वो रूके वे आ रहें हैं,उसी चौराहे से ,उसी रेडलाइट के पास से
वे गुजरे,इतना भयंकर एक्सीडेंट देख मन में
सोचा ,कितना लापरवाह है ये ट्रोलावाला! अच्छा है रात में ट्रेफिक नहीं रहता, नहीं तो
पता नहीं किसका घर उजड़ता !?
उन्हें क्या पता था कि उनका घर ही उजड़ चुका है। बेटों की चिंता सता रही थीं। कहां गए?बेटी को लेकर आ चुके थे।अब बेटों को
ढूंढने निकले ,सुबह के सात बज चुके थे,उसी
चौराहे से फिर गुजरे,नमक की बोरियां हटाई
जा रहीं थी,उसके नीचे कार झलकने लगी थी, वहां खड़ी भीड़ भौंचक्की हो उठी थी।
रामनाथ जी परेशान से वापस आ रहे थे।
पुलिस, एंबुलेंस देख ठिठक गए ।क्या हुआ
भाई? और एक्सीडेंट हो गया क्या? नहीं
रात की ही दबी है एक कार बोरियों के नीचे!
किसी को पता ही नहीं चला,पता नहीं कौन है बेचारे?
रामनाथ जी के पैर कांप रहे थे..आगे बढ़े और जैसे ही कार देगी..गश खाकर गिर पड़े।
उनका संसार उजड़ गया था.. बेटों के शव
निकालें जा चुके थे,यदि उस समय ही वह
ट्रोलेवाला पुलिस को सूचित कर देता तो
शायद कोई बच जाता।कैसी यात्रा पर निकल
गए थे बेटे! जहां खुशियों को होना चाहिए था, वहां मातम पसरा हुआ था।

अभिलाषा चौहान
स्वरचित मौलिक






6 comments:

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    1. सहृदय आभार आदरणीय 🙏🌷

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  2. बेहद मार्मिक सखी ,ईश्वर किसी को ये दिन ना दिखाए

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    1. आभार सखी ये सत्य घटना है।सच में इतना बुरा किसी के साथ कभी न हो।

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  3. मैंने अभी आपका ब्लॉग पढ़ा है, यह बहुत ही शानदार है।
    Viral-Status.com

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