Wednesday, October 3, 2018

राधा कृष्ण प्रेम रसधार

आज कृष्ण साथ मिला,
हाथों में उनका हाथ मिला।
तन मन में प्रेम तरंग उठी,
सृष्टि भी जैसे झूम उठी।
वन-उपवन भी हो गए पुष्पित,
बहने लगी मलय भी सुरभित।
चहक उठे तब पक्षी सारे ,
जब प्रियतम ने हाथ गहा रे।
प्रीत का रंग चहुंओर है छाया,
मिलन उसी से जो मनभाया।
झूम उठे धरती-गगन भी,
लौट आया देखो वसंत भी।
गुन-गुन करते भंवरे ऐसे,
सुर संगीत छिडें हो जैसे।
उड़ती तितलियां प्यारी- प्यारी,
महकने लगी प्रेम की फुलवारी।
बहने लगी है रस की धारा,
आनंदित संसार है सारा ।

अभिलाषा चौहान
(स्वरचित )

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