प्राची दिशा में छिटकी लालिमा
बिखरने लगा मंगल कुमकुम
हर्षित वसुधा पा सौभाग्य प्रतीक
जाग्रत जीवन हर्षित तन-मन
वृक्ष भी करने लगे हैं नर्तन
पक्षी कलरव गूंज उठा है
जीवन फिर से झूम उठा है
खिलने को कलियाँ उत्सुक
सिंदूरी आभा में जलधि
सुंदरता का करता संवर्धन
सिंदूरी हुआ हिमगिरि
अति अलौकिक दिव्य दर्शन
तन-मन सिंदूरी हुआ हमारा
जब वसुधा पर बिखरा
मंगल कुमकुम सारा
जगजीवन हुआ ऊर्जावान
गऊएं भी छेड़ रही तान
खेतों में लहराती हरियाली
ग्वाले ने बांसुरी निकाली
सुनाई उसने मधुर धुन
भंवरा भी करता गुन-गुन
मंगलमय हुआ सारा जीवन
जब दिनकर का हुआ आगमन। ।
अभिलाषा चौहान
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबेहद ख़ूबसूरत और उम्दा
ReplyDeleteसहृदय आभार
Deleteसहृदय आभार
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