Tuesday, March 26, 2019

प्रभात बेला






प्राची दिशा में छिटकी लालिमा
बिखरने लगा मंगल कुमकुम
हर्षित वसुधा पा सौभाग्य प्रतीक
जाग्रत जीवन हर्षित तन-मन
वृक्ष भी करने लगे हैं नर्तन
पक्षी कलरव गूंज उठा है
जीवन फिर से झूम उठा है
खिलने को कलियाँ उत्सुक
सिंदूरी आभा में जलधि
सुंदरता का करता संवर्धन
सिंदूरी हुआ हिमगिरि
अति अलौकिक दिव्य दर्शन
तन-मन सिंदूरी हुआ हमारा
जब वसुधा पर बिखरा
मंगल कुमकुम सारा
जगजीवन हुआ ऊर्जावान
गऊएं भी छेड़ रही तान
खेतों में लहराती हरियाली
ग्वाले ने बांसुरी निकाली
सुनाई उसने मधुर धुन
भंवरा भी करता गुन-गुन
मंगलमय हुआ सारा जीवन
जब दिनकर का हुआ आगमन। ।

अभिलाषा चौहान 

4 comments: