Saturday, November 3, 2018

ममता

ममता का संसार है व्यापक,
ममता का नहीं कोई मापक।
ममता की प्रतिमूर्ति है माँ,
मानव या किसी जीव की माँ।

ममता न देखे गोरा-काला,
ममता ने सृजन भार संभाला।
ममता जीव का पोषण करती,
ममता ही संस्कार है देती।

ममता न देखे अपना-पराया ,
ममता में संसार समाया।
ममता हृदय का सुंदर भाव,
ममता भर देती है घाव।

माँ ईश्वर की अनुपम रचना,
ममता उसका होता गहना।
ममता जीवन की अनुपम विभूति,
महिमा वर्णन वेद पुराण श्रुति।

ममता माँ की अद्भुत प्यारी,
देवता भी हैं इसके पुजारी।
ऐसा निर्मल भाव है मन का
शब्दों में महिमा न जाए उतारी।

अभिलाषा चौहान
स्वरचित 

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